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-नवीनतम तकनीक और प्रारंभिक निदान पर जोर दिया
हल्द्वानी। कैंसर देखभाल एवं अनुसंधान में अग्रणी संस्थान राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), हल्द्वानी के साथ मिलकर एक सतत शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) का आयोजन कर देश पर कैंसर के बढ़ते भार का समाधान करने की पहल की है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कैंसर, खासकर सिर एवं गर्दन के कैंसर के प्रति जागरूकता में वृद्धि करना था, जिसके विश्व में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों ने आशा की किरण जगाते हुए कहा कि दूसरी तरह कैंसरों की अपेक्षा सिर एवं गर्दन के कैंसर की जीवनशैली में बदलाव कर रोकथाम की जा सकती है।
डॉ. मुदित अग्रवाल, यूनिट हैड एवं सीनियर कंसलटेंट ऑफ हैड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने कहा कि सिर एवं गर्दन के कैंसर के मरीज अक्सर निगलने और बोलने-चालने सहित चेहरे और गर्दन की दिखावट से संबंधित कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं। लेकिन जबड़ा पुनर्निर्माण सर्जरी (जौ रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी), कंप्यूटर की सहायता से 3डी डिजाइनिंग टेक्नोलॉजी और चेहरे की पुनर्सजीवता तकनीक (फेसियल रिएनिमेशन टेक्निक) जैसे मेडिकल एडवांसमेंट ने मरीज के जीवन को काफी बेहतर बना दिया है।
रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में हुए हालिया बदलावों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. कुंदन सिंह चुफल, यूनिट हैड और सीनियर कंसलटेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, आरजीसीआईआरसी ने कहा कि इंटेंसिटी-मॉड्युलेटेड रेडियोथेरेपी और इमेज-गाइडेड रेडियोथेरेपी जैसी रेडिएशन टेक्नोलॉजी में हुई तकनीकी उन्नति से उपचार की सटीकता में काफी बड़ा सुधार आया है।
विशेषज्ञों ने रोबोटिक सर्जरी जैसे उपचार के क्षेत्र में हुए तकनीकी प्रगति पर बात की, जिसने सर एवं गर्दन के कैंसर के उपचार को एकदम बदल कर रख दिया है।
आज सिर एवं गर्दन के कैंसर (ऑरोफरीन्जियल टॉन्सिल, बेस टंग कैंसर) के शुरूआती चरण के इलाज में रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक से बिना चीड़-फाड़ के शरीर के ऐसे हिस्सों तक पहुंचा जा सकता है, जहां पहुंचना एक समय चुनौतीपूर्ण माना जाता था। रोबोटिक सर्जरी की न्यूनतम छेदन प्रकृति के कारण सटीकता और शरीर में उस जगह विशेष की दृश्यता में वृद्धि और जटिलता कम होती है, और मरीज अपेक्षाकृत तेजी से ठीक होता है। फलस्वरूप मरीज को कम असहजता और बेहतर जीवन का अनुभव होता है। शुरूआती चरण के लीजन और स्टेज 1 कैंसर के ठीक होने संभावना 72 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक रहती है,

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